Saturday, December 14, 2013

खुद की पहेचन के आधार और घर तो सपने जैसा था पर अब ये साकार होगा

पाटन कलेक्टर श्री जे.बी.वोरा और अन्य अधिकारी गणकी मदद से पाटन जिल्ले के समी ब्लोक के जेसडा गाँवमें रेहेते ८ बांसफोड़ा परिवारो को २७ नवेम्बर २०१३ को रेहेने केलिए प्लोट दिए गये.
 यह परिवार बांस में से टोकरी बनाके बेचने का काम करते है. आज से तिन साल पहेले जब ये परिवार vssm के संपर्क में आये तब इन के पास मतदारकार्ड, रेशनकार्ड ऐसे कोई आधार नहीं थे. वो साल में पांच महिना जेसडा में आके रुकते थे और बाकी का समय वो अपने काम केलिए घूमा करते थे. इनके school जा सके इस उम्र के 9 बच्चेभी माँ- बाप के साथ टोकरिया बेचने घुमते थे.
तीन साल में इन परिवारों को vssm की मदद से मतदारकार्ड, रेशनकार्ड, आधारकार्ड, रहने केलिए प्लोट मिले. अब बच्चे school भी जाने लगे है. एक भी परिवार बच्चो को साथ लेके काम पे नहीं जाता. इस सेटलमेंट के मुखिया भगाभाई सरकार और vssm का आभार मानते है. वो केहेते है की, “सरकारमे जाके अपनी समस्या के बारे में बताना, अरजिया करना ऐसा कुछ आता नहीं था. हम में से कोई पढ़ा लिखा नहीं है. गाँव मे जाके सरपंच से बात करना तो बहोत दूर की बात थी. पर vssm के कार्यकर मोहनभाई और पूरी टीम की मदद से एक होंसला बनता गया, जिसके कारन ये सब हो पाया. हमारी पीढ़ीया ऐसे घुमते घुमते मर गइ. खुद की पहेचन के आधार और घर तो सपने जैसा था पर अब ये साकार होगा. जिस केलिए हम इस काम मे मददगार हुए सब लोगोका आभार मानते है.”
इन परिवारों को प्लोट तो मिल गये पर घर बनाने केलिए इनके पास पैसे नहीं है. सरकार द्वारा दी जारही मकान सहाय प्राप्त करने केलिए इन के नाम BPL में होने जरुरी है.. पर इनके नाम BPL में नहीं है! वैसे ऐ लोग जिस स्थिति मे रहते है उनको BPL list में दाखिल करना चाहिए पर ऐसा हुआ नहीं है..

vssm अब इन परिवारों के नाम BPL में दाखिल करवाने की कोशिश में है...

ये परिवार जिस स्थितिमे रहेते है इस की तस्वीरे...

Thursday, December 12, 2013

लालूबेन की जिन्दादिली

बनासकांठा के डीसा में रहते ६१ वर्षीय विधवा लालुबेन बजानिया को कल मिलना हुआ. डीसा में रहते २१७ घुमंतू जातिके परिवारों के घर बनाने का काम vssm अभी करने जा रहा है. ऐसे में उनके लिए बन रहे सेम्पल हाउस को देखने जाना हुआ तब लालूबेन से बात हूई.
लालुबेन अकेले रहेते है. उनकी उम्र को देख के मुझे लगा शायद भीख मांग के गुजारा करते होंगे. पर मैने उनको पूछा की क्या काम करते हो?
‘चूडियाँ, बिन्दी, कान के ज़ुमखे बेचती हूँ. ५०-१०० रुपया मिल जाता है.’
‘बच्चे नहीं है?’
है पर उनको मेरे साथ रेहना पसंद नहीं है. वो राधनपुर रहते है. (बाद में लालूबेन के पडोस में रहते लोगोने बताया की इनके लडकोने इनको छोड़ दिया है.)
लालूबेन को vssm की मदद से रहने केलिए सरकारी प्लोट मीला है. सरकारने घर बनाने केलिए 45,000 दिए है पर 45,000 में घर कैसे बनेगा! vssm लालूबेन जैसे लोगो के घर बनाने जा रहा है. इस काममे समाज में से लोग अपना योगदान दे रहे है. एक घर बनाने का अंदाजित खर्च 80,000 है.
जिन का घर बनेगा वो खुद अपना घर बनाने में मजदूरी करेंगे. ताकि खर्च कम हो सके. जो मजदूरी नहीं करेगा उनको मजदूरी के पैसे भरने है. लालुबेन मुझे ये बताने आई थी की ‘मै मजदूरी नहीं कर पाऊँगी. और मजदूरी के पैसे भी मेरे पास नहीं है. मै कैसे अपना योगदान दू?’
मुझे लालूबेन की जिन्दादिली पसंद आई. एक तो इस उम्र में महेनत कर के गुजरा कर रही है और किसीके पास हाथ फेलाकर भीख नहीं मागती.
(इनकी उम्र ६१ साल है और वो विधवा है पर इनको वृध्ध पेंशन या विधवा सहाय नहीं मिलती. जिस परिस्थिति में वो रेहती है उनके पास BPL रेशनकार्ड होना चाहिए पर वो नहीं है.. हमने उनके राशनकार्ड  केलिए apply किया है देखते है कब परिणाम मिलता है.)
 

Monday, December 09, 2013

Finally the day came ……


Widows, handicaps, destitute from the Nomadic and De-notified communties comprise one of the most vulnerable demographic groups in our country, in fact they are at the margins even amongst the marginalised communities . These individuals require special focus for their daily survival. VSSM has been involved in a continuos dialogue with the authorities so as to have a meaningful impact on the lives of this group. VSSM believes that if these families are given the Antyoday Ration Cards, which they should, looking at their economic and social status, the struggle of earning or begging for daily meal would ease out. There is a special order No. P.D.S. 102001-59, K by the Supreme Court to sanction Antyoday Ration Cards to such needy families, however most of the government officials even after being aware of it refused to consider it.

VSSM had been struggling since long to get Agarben Meer, an Antyoday Card. Agarben a mother of four was widowed at a very young age. She works as manual labour or begs when unable to find work. Feeding the brood is a daily struggle she encounters. VSSM team made presentations with the local officials and tried to advocate her case but the officials just did not budge. With no options left we took the matter to the Deputy Collector. The understood the legitimacy of our demand and instructed his officials to expedite the application of Agarben and other families like hers. In a couple of weeks Agarben received her Antyoday Card which entitles her family food security. 

Read in Gujarati
આખરે અગરબેનને અંત્યોદય રેશનકાર્ડ આપવામાં આવ્યું....
અગરબેનને અને તેમના જેવા અન્ય વિકલાંગ અને વિધવાબેહનોને અંત્યોદય કાર્ડ મળે તે માટે વારંવાર મામલતદાર કચેરી દિયોદરમાં રજૂઆત કરતા હતા. પણ મામલતદાર શ્રી સુપ્રીમકોર્ટના આદેશ પ્રમાણે અન્ન નાગરિક પૂરવઠા અને ગ્રાહકોની બાબતના વિભાગ દ્વારા ઠરાવ ક્રમાંક-પી.ડી.એસ.-૧૦૨૦૦૧-૫૯,ક મુજબ અત્યંત ગરીબ કુટુંબો અને વિધવા, ત્યકતા, વિકલાંગ વ્યક્તિના પરિવારને અંત્યોદય રેશનકાર્ડ આપવાની યોજના છે તે માનતા હતા પણ કાર્ડ આપવા તૈયાર નહોતા. આખરે પ્રાંત કલેકટર શ્રી સમક્ષ રજૂઆત કરવામાં આવતા એમણે અગરબેન અને એમના જેવા બીજા પરિવારોને ઝડપથી અંત્યોદય કાર્ડ આપવાની સુચના આપી અને અગરબેનને કાર્ડ મળ્યું.
(અગરબેન મીર વિધવા છે. એમને ૪ બાળકો છે, છૂટકમજૂરી અને મજૂરી ના મળે ત્યારે બાળકો સાથે તેઓ ભોખ માંગે છે. અગરબેન પાસે રેશનકાર્ડ નહોતું. આપણે અંત્યોદયકાર્ડની માંગણી કરી પરંતુ, અગરબેનને એ.પી.એલ.-૧ કાર્ડ આપવામાં આવ્યું. આમ તો અગરબેન જે સ્થિતિમાં છે તે પ્રમાણે તેમને અંત્યોદય અથવા BPL કાર્ડ આપવું જોઈએ પણ ચોપડા પર ગરીબો ઘટાડવાની લાયમાં જેને ખરેખર મદદની જરૂર છે તેને મદદ મળતી નથી.)