Thursday, December 12, 2013

लालूबेन की जिन्दादिली

बनासकांठा के डीसा में रहते ६१ वर्षीय विधवा लालुबेन बजानिया को कल मिलना हुआ. डीसा में रहते २१७ घुमंतू जातिके परिवारों के घर बनाने का काम vssm अभी करने जा रहा है. ऐसे में उनके लिए बन रहे सेम्पल हाउस को देखने जाना हुआ तब लालूबेन से बात हूई.
लालुबेन अकेले रहेते है. उनकी उम्र को देख के मुझे लगा शायद भीख मांग के गुजारा करते होंगे. पर मैने उनको पूछा की क्या काम करते हो?
‘चूडियाँ, बिन्दी, कान के ज़ुमखे बेचती हूँ. ५०-१०० रुपया मिल जाता है.’
‘बच्चे नहीं है?’
है पर उनको मेरे साथ रेहना पसंद नहीं है. वो राधनपुर रहते है. (बाद में लालूबेन के पडोस में रहते लोगोने बताया की इनके लडकोने इनको छोड़ दिया है.)
लालूबेन को vssm की मदद से रहने केलिए सरकारी प्लोट मीला है. सरकारने घर बनाने केलिए 45,000 दिए है पर 45,000 में घर कैसे बनेगा! vssm लालूबेन जैसे लोगो के घर बनाने जा रहा है. इस काममे समाज में से लोग अपना योगदान दे रहे है. एक घर बनाने का अंदाजित खर्च 80,000 है.
जिन का घर बनेगा वो खुद अपना घर बनाने में मजदूरी करेंगे. ताकि खर्च कम हो सके. जो मजदूरी नहीं करेगा उनको मजदूरी के पैसे भरने है. लालुबेन मुझे ये बताने आई थी की ‘मै मजदूरी नहीं कर पाऊँगी. और मजदूरी के पैसे भी मेरे पास नहीं है. मै कैसे अपना योगदान दू?’
मुझे लालूबेन की जिन्दादिली पसंद आई. एक तो इस उम्र में महेनत कर के गुजरा कर रही है और किसीके पास हाथ फेलाकर भीख नहीं मागती.
(इनकी उम्र ६१ साल है और वो विधवा है पर इनको वृध्ध पेंशन या विधवा सहाय नहीं मिलती. जिस परिस्थिति में वो रेहती है उनके पास BPL रेशनकार्ड होना चाहिए पर वो नहीं है.. हमने उनके राशनकार्ड  केलिए apply किया है देखते है कब परिणाम मिलता है.)
 

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